सीजी न्यूज ऑनलाइन, 30 अक्टूबर। स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए नई आरक्षण नीति की मंजूरी के बाद हलचल तेज हो गई है। जिसकी वजह यह है कि निकायों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि रायपुर समेत बड़े नगर निगमों में अनारक्षित सीटें घट सकती है।
स्थानीय निकायों में आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी रखने की आरएस विश्वकर्मा आयोग की सिफारिशों को सरकार ने मंजूरी दे दी है। अधिसूचना जारी होने के बाद वस्तुस्थिति सामने आएगी।
प्रदेश में निकायों में ओबीसी को 25 फीसदी आरक्षण मिलता था। अब नई नीति आने के बाद विशेषकर नगर निगमों में ओबीसी आरक्षण बढ़ सकता है। प्रदेश में 14 नगर निगम हैं, और 48 पालिका व नगर पंचायत 122 हैं। एक जानकार के मुताबिक रायपुर नगर निगम में एससी-एसटी, और ओबीसी मिलाकर 43 फीसदी आरक्षण है। ऐसी स्थिति में ओबीसी के लिए 7 फीसदी आरक्षण बढ़ सकता है। इससे तीन से चार सीटें, जो कि अनारक्षित है वो ओबीसी के लिए आरक्षित हो जाएगी। कुल मिलाकर अनारक्षित सीटों की संख्या घट सकती है।
दूसरी तरफ, दुर्ग नगर निगम में भी तकरीबन ऐसी ही स्थिति है। यहां ओबीसी आरक्षण बढ़ सकता है। अनारक्षित करीब छह से सात सीट ओबीसी के लिए आरक्षित हो सकती है। न सिर्फ रायपुर-दुर्ग, बल्कि भिलाई नगर निगम, राजनांदगांव, और बिलासपुर में भी तकरीबन ऐसी ही स्थिति है। इन निगमों में भी ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों में बढ़ोत्तरी होगी। बाकी नगर निगमों में भी ओबीसी के लिए भी सीटें थोड़ी-बहुत बढ़ सकती है।
जानकारों का मानना है कि नई नीति नगरीय निकायों में ओबीसी तबके को फायदा होगा। मगर ग्रामीण इलाकों में पंचायतों में नुकसान उठाना पड़ सकता है। यहां अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें बढ़ सकती हैं। प्रदेश के 14 जिलों में पिछड़ा वर्ग को प्रतिनिधित्व नहीं के बराबर रहेगा।
विश्वकर्मा आयोग ने जिला स्तर पर ओबीसी का सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति का आंकलन कर रिपोर्ट तैयार की है। इसमें सुप्रीम कोर्ट की गाईड लाईन को भी ध्यान में रखा गया है जिसमें अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए आरक्षण में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाए। साथ ही आरक्षण की सीमा 50 फीसदी रखने के निर्देश का पालन किया गया है। बावजूद इसके आरक्षण को लेकर विवाद बढ़ सकता है। फिलहाल, अधिसूचना जारी होने का इंतजार किया जा रहा है।