फर्जी डिग्री बेच रहे फिजियोथेरेपी संस्थान, आईएपी ने की कार्रवाई की मांग

फर्जी डिग्री बेच रहे फिजियोथेरेपी संस्थान, आईएपी ने की कार्रवाई की मांग


सीजी न्यूज ऑनलाइन, 20 अक्टूबर। झोलाछाप डॉक्टरों की तरह अब फिजियोथेरैपी के क्षेत्र में भी फर्जी डिग्री बेचे जाने की शिकायतें आ रही हैं। इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथेरैपिस्ट (आईएपी) का आरोप है कि राज्यभर में शिक्षा माफिया के संरक्षण में बिना मान्यता वाले संस्थान फिजियोथेरेपी की फर्जी डिग्री बेच रहे हैं। संगठन ने शासन-प्रशासन से शिकायत कर इस पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

आईएपी के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत चक्रवर्ती ने बिलासपुर प्रेस क्लब में शनिवार को कहा कि छत्तीसगढ़ में फिजियोथेरैपी का पांच वर्षीय बैचलर कोर्स केवल आयुष विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त है। इसमें प्रवेश के लिए नीट परीक्षा अनिवार्य है और वर्तमान में केवल दो कॉलेजों को ही मान्यता मिली है गवर्नमेंट फिजियोथेरैपी कॉलेज, रायपुर और अपोलो कॉलेज ऑफ फिजियोथेरैपी, दुर्ग।

संगठन के ट्रेजरार डॉ. विक्रम द्विवेदी ने रायपुर स्थित एप्पल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के स्टिंग ऑपरेशन का हवाला देते हुए बताया कि यह संस्थान पिछले चार साल से बिना मान्यता के फिजियोथेरैपी पाठ्यक्रम चला रहा था। इस मामले की शिकायत स्वास्थ्य मंत्रालय और संबंधित विभागों से की गई है।
संगठन के अनुसार छत्तीसगढ़ में कई ऐसे निजी संस्थान हैं जो बिना मान्यता के फिजियोथेरेपी की पढ़ाई करवा रहे हैं, जिनमें एपीजे इंस्टिट्यूट कांकेर, छत्तीसगढ़ इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ साइंसेज बिलासपुर और रायगढ़, आचार्य अभिलाष पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट बेमेतरा, एमके इंस्टिट्यूट पैरामेडिकल कॉलेज रायपुर आदि शामिल हैं।

संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि फिजियोथेरैपी को पैरामेडिकल कोर्स के रूप में प्रचारित करना गलत है, क्योंकि इसे हेल्थ केयर प्रोफेशनल की श्रेणी में रखा गया है। फिजियोथेरैपी के लिए राज्य में एक स्वतंत्र काउंसिल है, जो पैरामेडिकल काउंसिल से अलग है।
संगठन ने प्रदेश के सभी अस्पताल और क्लीनिक संचालकों को सलाह दी है कि किसी भी फिजियोथेरैपी चिकित्सक की सेवा लेने से पहले इसकी डिग्री और काउंसिल पंजीकरण की जांच अवश्य करें। फर्जी संस्थाओं से जुड़े छात्र आईएपी की छत्तीसगढ़ शाखा से संपर्क कर सकते हैं।