सीजी न्यूज ऑनलाइन 04 अक्टूबर । शॉर्ट फॉर्मेट क्रिकेट खासतौर पर आईपीएल में अनुभव के साथ गौतम गंभीर की कोचिंग में आपको एग्रेशन नजर आता है। दूसरी ओर राहुल द्रविड़ का ध्यान खिलाड़ियों को तैयार करने, टीमों के फ्यूचर प्लानिंग और मजबूत आधार तैयार करने पर होता है। अपने-अपने स्तर पर दोनों प्रभावी कोच हैं।
बांग्लादेश को तूफानी अंदाज में टेस्ट सीरीज हराते ही भारत के एप्रोच की बात होने लगी। जिस एग्रेसिव इंटेंट के साथ टीम इंडिया कानपुर में उतरी वर्ल्ड क्रिकेट में उसी के चर्चे हैं। भारतीय टीम के इस बदले तेवर को कोच गौतम गंभीर से जोड़कर देखा जा रहा है। टीम के अनुभवी खिलाड़ी रवि अश्विन ने तो यहां तक कह दिया कि ‘बैजबॉल’ नहीं अब ‘गैमबॉल’ का दौर चलेगा। कप्तान रोहित शर्मा ने भी पिछले कोच राहुल द्रविड़ से गौतम गंभीर की कोचिंग स्टाइल को अलग बताया। चलिए इस आर्टिकल में आपको गौतम गंभीर और राहुल द्रविड़ की कोचिंग में चार बड़े फर्क बताते हैं।
गौतम गंभीर अपने आक्रामक, सीधे और कभी-कभी टकरावपूर्ण दृष्टिकोण के लिए पहचाने जाते हैं। वह कठोरता, मजबूत मानसिक दृष्टिकोण और प्रतिस्पर्धात्मक खेल पर जोर देते हैं। उनका फोकस रिजल्ट पर होता है, जब कड़े फैसले लेने की बात आती है तो वह पीछे नहीं हटते। दूसरी ओर राहुल द्रविड़ की कोचिंग शैली शांत, संयमित और धैर्यवान है। वह रिजल्ट से ज्यादा खिलाड़ियों को तैयार करने में भरोसा रखते हैं। द्रविड़ को जमीनी स्तर पर काम करने के लिए पहचाना जाता है। खासकर भारत की अंडर-19 और भारत ए टीमों के ऐसे कई खिलाड़ी उन्होंने तैयार किए हैं, जो अब सीनियर टीम का अहम हिस्सा है।
गौतम गंभीर विजयी मानसिकता को महत्व देते हैं। उनकी प्लानिंग में अटैकिंग क्रिकेट की झलक मिलती है। अपने क्रिकेटिंग करियर की ही तरह बतौर कोच दूसरी पारी में भी वह लड़ाके की ही तरह खड़े होते हैं। दूसरी ओर राहुल द्रविड़ विनम्रता, कड़ी मेहनत और बेसिक्स पर फोकस करते हैं। राहुल द्रविड़ की कोचिंग में उनके क्रिकेटिंग डेज की भी झलक दिखती है।