सीजी न्यूज ऑनलाइन, 10 सितंबर। राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ ब्लॉक के आलीवारा स्कूल की छात्राओं को जेल भेजने की धमकी देने के मामले को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने सरकार से अब तक की गई कार्रवाई पर जवाब मांगा है। साथ ही पूछा है कि जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, या कम शिक्षक हैं- वहां पर क्या कदम उठाए गए हैं। राजनांदगांव के कलेक्टर और तत्कालीन डीईओ को भी इस मामले में पक्षकार बनाया गया है। प्रकरण की सुनवाई दो दिन बाद फिर रखी गई है।
शिक्षकों की पदस्थापना की मांग को 12वीं बोर्ड परीक्षा के लिए दाखिला लेने वाली छात्राएं 4 सितंबर को जिला कलेक्टर के जनदर्शन में पहुंची थीं कलेक्टर ने उन्हें जिला शिक्षा अधिकारी अभय जायसवाल से मिलने के लिए कहा। छात्राओं ने बताया कि वे 11वीं कक्षा बिना शिक्षक के उत्तीर्ण कर चुकी थीं, लेकिन 12वीं बोर्ड परीक्षा को लेकर चिंतित हैं। इन छात्राओं को डीईओ ने धमकाया और जेल भेजने की चेतावनी दी।
इस घटना को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने डीईओ के इस व्यवहार को “अशोभनीय और निंदनीय” करार दिया है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जब छात्राएं केवल शिक्षकों की नियुक्ति की मांग कर रही थीं, तब इस तरह का व्यवहार अस्वीकार्य है।
कोर्ट ने सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ सरकार से व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। इसमें यह बताने के लिए कहा गया है
कि राज्य के उन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं, जहां शिक्षक या तो नहीं हैं या बेहद कम हैं।
सोमवार को सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता वाईएस ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि डीईओ अभय जायसवाल को इस घटना के बाद दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया गया है और उक्त विद्यालय में चार नए शिक्षकों की नियुक्ति भी कर दी गई है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर तय की है।