नई किताबें लेने के पैसे नहीं थे, गरीबी में भाई की पुराने पुस्तक पढ़कर बने डॉक्टर, किसान पिता को बेचनी पड़ी खेत, पढ़ें गरीबी में संघर्ष कर बने डॉक्टर निराला के सफलता की कहानी
भिलाईनगर 1 अप्रैल । जांजगीर चांपा जिले के छोटे से गांव सूखापाली के रहने वाले डॉ. दीपक कुमार निराला का बचपन बेहद गरीबी और अभाव में बीता। जब उन्होंने डॉक्टर बनने का फैसला किया तो उनके पास तैयारी के लिए किताबें खरीदने तक के पैसे नहीं थे। गणित में रूचि होने के बाद भी उन्होंने इसलिए बायो लिया ताकि भाई की पुरानी किताबें उनके काम आ जाए। कई बार ऑल इंडिया पीएमटी के सेंटर्स दिल्ली, बांबे जैसे शहरों में होते तो वे पूरी तैयारी के बाद पैसों की कमी के कारण एग्जाम दिलाने नहीं जा पाते थे। इतनी विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के बाद भी उन्होंने अपना हौसला टूटने नहीं दिया और आज एमडी शिशु रोग की पढ़ाई छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज रायपुर से कर रहे हैं। अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए डॉ. निराला कहते हैं कि इंसान के अंदर अगर कुछ कर गुजरने का जुनून है तो कठिन परिस्थितियां भी उसे आगे बढऩे से नहीं रोक पाती। एक वक्त ऐसा भी आया जब मुझे डॉक्टर बनाने के लिए गरीब पिता को अपनी उपजाऊ खेत बेचनी पड़ी। कोचिंग के लिए दूसरों से पैसे उधार लेकर वे मुझे भेजते थे ऐसे में उनका कर्ज उतारना ही मेरे जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य था। लगातार दो असफलताओं के बाद भी मैंने हिम्मत बनाए रखा और तीसरे प्रयास में ऑल इंडिया के साथ सीजी पीएमटी भी क्वालिफाई कर लिया। जो बच्चे ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं उन्हें बस इतना कहूंगा कि आप अपनी मेहनत पर भरोसा रखिए आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
गांव का टॉपर था पर शहर में आकर हो गया जीरो
डॉ. निराला ने बताया कि 12 वीं बोर्ड तक उन्होंने तय नहीं किया था कि आगे करना क्या है। भाई और दोस्तों ने पीएमटी कोचिंग की सलाह दी। स्कूल में मैं टॉपर स्टूडेंट था लेकिन जब पहली बार भिलाई कोचिंग के लिए आया तो यहां स्टूडेंट की भीड़ में कहीं गुम हो गया। मेडिकल एंट्रेस की तैयारी की दौरान कुछ भी साल्व नहीं होता था। शुरुआत में कुछ भी समझ नहीं आता था। ग्रामीण पृष्ठभूमि और गांव के माहौल के कारण शहर में ढलने और यहां के बच्चों से काम्पिटिशन करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी। शुरुआत में फिजिक्स में थोड़ी दिक्कत होती थी लेकिन लगातार सवालों को साल्व करने से वो भी आसान लगने लगा।
एक बार लगा कहां फंस गया तब जैन सर की बातें सुनकर हुआ मोटिवेट
मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के लिए सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज को चुनने वाले डॉ. निराला ने बताया कि जब शुरुआत में कुछ समझ नहीं आता था तब लगता था कि कहां आकर फंस गया हूं। एक दिन टेस्ट सीरिज के बाद सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर की बातें सुनकर खुद को आने वाले संघर्ष के लिए तैयार किया। उन्होंने कहा था कि अपने पैरेंट्स के बारे में एक बार सोचो उन्होंने कितनी मुश्किलों का सामना करके आपको पढऩे के लिए भेजा है। उस दिन के बाद से मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सचदेवा की फैकल्टी बहुत अच्छी है। यहां का टेस्ट सीरिज तो सबसे ज्यादा अच्छा है। आपके साथ यहां मेहनती टीचर दिन रात लगे रहते हैं। घर जैसा माहौल इसे और खास बनाता है।
मीडियम मैटर नहीं करता
नीट की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स से कहना चाहता हूं कि आप चाहे हिंदी मीडियम से हो या इंग्लिश मीडियम ये मायने नहीं रखता है। एग्जाम में सिर्फ आपकी मेहनत काम आती है। इसलिए बिना रूके पढ़ते जाइए एक दिन मेरी तरह आप भी जीरो से उठकर हीरो तक का सफर पूरा कर सकते हैं। गरीबी आगे बढऩे की प्रेरणा देती है इससे हताश कभी नहीं होना चाहिए।