डिप्रेशन भी नहीं रोक स्का लक्ष्य को पाने से, बैकुंठपुर की धनेश्वरी ने सेकंड ड्रॉप में फैमिली सपोर्ट एवं टीचरों के गाइडलाइन से की सफलता हासिल


डिप्रेशन भी नहीं रोक स्का लक्ष्य को पाने से, बैकुंठपुर की धनेश्वरी ने सेकंड ड्रॉप में फैमिली सपोर्ट एवं टीचरों के गाइडलाइन से की सफलता हासिल

भिलाई नगर 7 मई । जरूरतमंद लोगों की मदद का जुनून लेकर बैकुण्ठपुर निवासी धनेश्वरी स्कूल के समय से ही डॉक्टर बनना चाहती थी। इसलिए बायो लेकर 12 वीं बोर्ड का एग्जाम दिया। जब मेडिकल एंट्रेस की तैयारी शुरु की तो पहले साल मिले फेल्यिर ने उसे अंदर तक तोड़ दिया। पहले ड्रॉप में सलेक्शन नहीं होने के कारण पूरे एक महीने डिप्रेशन में रही। गनीमत रही इस समय फैमिली और टीचर्स ने सपोर्ट किया। दोनों की मदद से डिप्रेशन से निकलकर एक बार भी तैयारी शुरू की और इस बार सीजी पीएमटी क्वालिफाई कर लिया। वर्तमान में बैकुण्ठपुर हॉस्पिटल में मेडिकल ऑफिसर के रूप में पदस्थ डॉ. धनेश्वरी मनहर ने बताया कि अगर 11 वीं कक्षा में सीनियर ने पीएमटी के बारे में नहीं बताया होता तो शायद मैं कभी डॉक्टर बन पाती। फेल्यिर के दौर में फैमिली ने भी काफी हौसला बढ़ाया। अगर आपका परिवार आपके साथ होता है तो सफलता के लिए मेहनत करने का जुनून बढ़ जाता है। इसलिए हमेशा अपनी हर छोटी बड़ी परेशानी फैमिली के साथ जरूर शेयर करें। 

शॉर्ट नोट्स बनाकर पढ़ती थी 

डॉ. धनेश्वरी ने बताया कि पहले ड्रॉप में बेसिक कमजोर होने के कारण बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ी। जब तक एग्जाम का पैटर्न और सिलेबस पल्ले पड़ा तब तक पूरा एक साल निकल चुका था। यही कारण था कि मेहनत के बाद भी पहले ड्रॉप में सलेक्शन नहीं हुआ। जीवन में पहली बार मिला ये फेल्यिर मन से निकल नहीं रहा था इसलिए डिप्रेशन में चली गई थी। पैरेंट्स की सहायता से दोबार तैयारी शुरु की और साल 2015 में सीजी पीएमटी क्वालिफाई कर लिया। फिजिक्स विषय मेरा वीक था इसलिए मैंने कैमेस्ट्री को अपना स्ट्रांग प्वाइंट बनाया। कैमेस्ट्री की मदद से क्वालिफाइंग स्कोर लाने की कोशिश करने लगी। जिसका फायदा भी फाइनल एग्जाम में मिला। कोचिंग में पढ़े हुए सब्जेक्ट को शॉर्ट नोट्स बनाकर पढ़ती थी। ये शॉर्ट नोट्स रिविजन के टाइम पर की वर्ड की तरह काम करते हैं। 

हर बच्चे पर देते हैं बराबर ध्यान 

मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के लिए सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज को चुनने वाली डॉ. धनेश्वरी ने बताया कि यहां सभी बच्चों पर बराबर ध्यान दिया जाता है। यही बात इस कोचिंग को दूसरे संस्थानों से खास बनाती है। यहां टॉपर और कम स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स के बीच में भेद नहीं किया जाता। फैंडली माहौल में बच्चे फ्री होकर बिना किसी झिझक के डाउट भी पूछते हैं। डिप्रेशन के दौर में यहां के टीचर्स और डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर ने काउंसलिंग की। जिससे जल्द ही इस मुश्किल दौर से निकल पाई। जैन सर की कही हुई वो बात कभी नहीं भूलती जिसमें वो बताते थे कि मेहनत करने वाले की कभी हार नहीं होती है। यहां का टेस्ट सीरिज भी अमेजिंग है। सभी सब्जेक्ट की एक छत के नीचे पढ़ाई होने के चलते स्टूडेंट्स का काफी समय बच जाता है। 

घंटे गिनने की बजाय मन लगाकर पढ़ो

नीट की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स से कहना चाहती हूं कि ये मायने नहीं रखता कि आप कितने घंटे पढ़ाई करते हैं बल्कि ये महत्वपूर्ण है कि आपने उन घंटों में कितनी बातों को याद कर लिया। कई बार हम घंटे गिनते रहते हैं जबकि समझ में कुछ नहीं आ रहा होता है। इसलिए बेहतर होगा ज्यादा समझ कर स्मार्ट तरीके से पढ़ाई करे।  रिविजन बहुत जरूरी है। बिना रिविजन के सालभर पढ़ा हुआ टॉपिक भी दिमाग से आखिरी समय में निकल जाता है। इसलिए कॉम्पिटिशन में बने रहने के लिए समय-समय पर रिविजन करते रहें।