पापा का सपना पूरा करने दो साल ड्रॉप लेकर की कड़ी मेहनत, डिप्रेशन में फैमिली की सपोर्ट से बने डॉक्टर, हेमंत बढ़ा रहे परिवार का मान
भिलाई नगर 18 मई । फस्र्ट ड्रॉप में जब सलेक्शन नहीं हुआ तो डिप्रेशन इस कदर दिल-दिमाग में हावी हो गया कि कुछ समझ ही नहीं आ रहा था क्या करूं। दिन-रात बस यही सोचता था कि पापा का सपना कैसे पूरा करूंगा। अगर दूसरे ड्रॉप में भी सलेक्शन नहीं हुआ तो क्या करूंगा। इन्हीं सब बातों को सोचकर मन व्याकुल हो गया। तब परिवार के लोगों ने काफी सपोर्ट किया। पापा ने हाथ पकड़कर कहा कि जब एक साल कड़ी मेहनत की है तो एक और साल अच्छे से पढ़ाई करो, सलेक्शन जरूर होगा। पापा की बातों को सुनकर मन में उत्साह जागा और दूसरे साल ड्रॉप लेकर फिर से नए सिरे से तैयारी शुरू कर दी। साल 2014 में सीजी और ऑल इंडिया पीएमटी एक साथ क्वालिफाई कर लिया। रायगढ़ मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने वाले डॉ. हेमंत कुमार जायसवाल कहते हैं कि लाइफ में कभी भी गिवअप करने के बारे में नहीं सोचना चाहिए। जिस दिन हम गिवअप कर देते हैं उस दिन सपना भी टूट जाता है। इसलिए पॉजिटिव सोच के साथ आगे बढऩा चाहिए। अपने फेल्यिर से कुछ नया सीखते हुए पुरानी गलतियों को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए तभी लक्ष्य प्राप्त होता है।
हॉस्पिटल में डॉक्टरों को देखकर मिली प्रेरणा
डॉ. हेमंत ने बताया कि जब वे 6 वीं क्लास में थे तब एक दिन दादा जी की तबीयत खराब हो गई। पापा उन्हें लेकर अस्पताल गए। वहां डॉक्टरों को दादा जी का ट्रीटमेंट करता देख मेरे मन में भी डॉक्टर बनने की इच्छा जागी। उनकी सेवा भाव देखकर प्रेरणा मिली। इसके बाद स्कूल में बायो लेकर पढ़ाई की। डॉक्टर बनने के लिए कौन-कौन सी परीक्षाएं देनी पड़ती है, किस तरह की तैयारी करनी पड़ती है ये सब कोचिंग आकर पता चला। बड़े भाई ने मेडिकल एंट्रेस की तैयारी करते हुए पढ़ाई में काफी मदद की। हिंदी मीडियम से स्कूलिंग के कारण शुरुआत में चीजें समझने में बहुत दिक्कत हुई। जब पहली बार कोचिंग आया तो बाकी लोगों की तैयारी देखकर हैरान रह गया था। उस समय मुझे जीरो से पढ़ाई शुरु करनी पड़ी क्योंकि बेसिक कमजोर था। सचदेवा में स्मार्ट स्टडी की बदौलत धीरे-धीरे सभी सब्जेक्ट आसान लगने लगा।
एक ही छत के नीचे सभी विषयों की पढ़ाई
मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के लिए सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज को चुनने वाले डॉ. हेमंत ने बताया कि यहां का माहौल काफी अच्छा है। साथ ही एक ही छत के नीचे सभी विषयों की पढ़ाई होने से समय की बचत हो जाती है। अलग-अलग सब्जेक्ट की तैयारी के लिए भटकना नहीं पड़ता। यहां के टीचर्स फ्रेंडली है, जरूरत पडऩे पर पर्सनल काउंसलिंग भी करते हैं। सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर की मोटिवेशनल स्पीक सुनकर एनर्जी दोगुनी हो जाती थी। पढ़ाई के अलावा यहां आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों और 12 वीं में अच्छे माक्र्स लाने वाले बच्चों को फीस में डिस्काउंट दिया जाता है। ऐसी चीजें दूसरे संस्थानों में देखने को नहीं मिलती।
रिविजन पर करें फोकस
नीट की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स से कहना चाहता हूं कि आप पढ़ाई के साथ रिविजन पर भी फोकस करें। ज्यादातर स्टूडेंट सालभर मन लगाकर पढ़ाई करते हैं लेकिन आखिरी महीनों में ठीक से पूरे सिलेबस का रिविजन नहीं कर पाते। जिसका नुकसान उन्हें एग्जाम में उठाना पड़ता है। इसलिए टाइम टेबल बनाते समय रिविजन के लिए अलग शेड्यूल बनाए। ड्रॉप सेशन में डिप्रेशन होता है इस समय अपने परिवार और टीचर्स की मदद से इस मुश्किल दौर से निकलने की कोशिश करें।