बड़े जरूरी खबर FASTag खाते से कटे 10 रुपये ज़्यादा, कोर्ट ने NHAI से दिलवाया 8,000 रुपये का मुआवजा

बड़े जरूरी खबर FASTag खाते से कटे 10 रुपये ज़्यादा, कोर्ट ने NHAI से दिलवाया 8,000 रुपये का मुआवजा


सीजी न्यूज़ ऑनलाइन डेस्क 10 मई । ऐसा ही कुछ बेंगलुरु के रहने वाले संतोष कुमार एमबी नाम के शख्स के साथ हुआ। लेकिन संतोष इस बात को जाने नहीं दे रहा था। इस तथ्य के बावजूद कि 10 रुपये कोई बड़ी राशि नहीं है, संतोष अतिरिक्त चार्ज करने के लिए एनएचएआई को अदालत में ले गया। अदालत का फैसला भी उनके पक्ष में था, और उन्हें पर्याप्त मुआवजा मिला।
TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार, गांधीनगर निवासी 38 वर्षीय संतोष कुमार एमबी ने 20 फरवरी और 16 मई, 2020 को चित्रदुर्ग सीमा के भीतर एक राष्ट्रीय राजमार्ग के एक हिस्से पर यात्रा की। उन्होंने पाया कि उनके FASTag खाते से 40 रुपये काट लिए गए थे। यानी दो बार टोल पार करने पर उसके खाते से 5 रुपए कट गए।

बता दें कि FASTag परिवहन मंत्रालय का इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है। FASTag पर वसूले गए अतिरिक्त पैसे वसूलने के प्रया में संतोष कुमार कई स्थानों पर गए, लेकिन उनके प्रयास व्यर्थ रहे। उन्हें NHAI के अधिकारियों या परियोजना निदेशक से कोई सहायता नहीं मिली। तब संतोष ने मामले को अपने हाथों में लिया और NHAI, चित्रदुर्ग परियोजना निदेशक, और यहां तक कि नागपुर में JAS टोल रोड कंपनी लिमिटेड के प्रबंधक पर मुकदमा दायर किया।
कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई, लेकिन एनएचएआई के प्रतिनिधि पेश नहीं हुए। जेएएस कंपनी भी 45 दिनों की समय सीमा के भीतर अपना पक्ष रखने में विफल रही। तभी एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर की ओर से एक वकील पेश हुए।
उन्होंने दावा किया कि भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम ने फास्टैग प्रणाली को डिजाइन, विकसित और कॉन्फ़िगर किया है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि 1 जुलाई, 2020 तक कारों के लिए टोल शुल्क 38 रुपये और एलसीवी 66 रुपये था। रिपोर्ट के अनुसार, 6 अप्रैल, 2018 को एनएचएआई ने संग्रह शुल्क में संशोधन का उल्लेख करते हुए एक परिपत्र जारी किया।
नतीजतन, कार शुल्क बढ़कर 35 रुपये और एलसीवी शुल्क बढ़कर 65 रुपये हो गया। अधिवक्ता के अनुसार, शुल्क नियमानुसार काटा गया था, इसलिए उन्होंने अनुरोध किया कि मामला खारिज कर दिया जाए।
मजबूत बचाव के बावजूद संतोष कुमार ने केस जीत लिया। उपभोक्ता अदालत ने एजेंसी को अतिरिक्त टोल शुल्क वापस करने और उन्हें 8,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।