गैंगस्टर अतीक और अशरफ के हमलावर कौन हैं? 🛑 कहां के रहने वाले हैं? 🛑 इनके पास हथियार कहां से आए? 🛑 क्या ये कोई सोची समझी साज़िश है? 🛑 और क्या ये हमलावर पहले भी जेल जा चुके हैं? – सारे ज्वलंत सवालों के जवाब खंगालती यह विशेष रपट ⚪ जरूर पढें क्या कह रहे हैं अभियुक्त के परिजन

<em>गैंगस्टर अतीक और अशरफ के हमलावर कौन हैं? 🛑 कहां के रहने वाले हैं? 🛑 इनके पास हथियार कहां से आए? 🛑 क्या ये कोई सोची समझी साज़िश है? 🛑 और क्या ये हमलावर पहले भी जेल जा चुके हैं? – सारे ज्वलंत सवालों के जवाब खंगालती यह विशेष रपट ⚪ जरूर पढें क्या कह रहे हैं अभियुक्त के परिजन</em>



सीजी न्यूज आनलाईन डेस्क, 16 अप्रैल। कल गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके भाई पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर उसकी हत्या करने वाले अरुण मौर्य, लवलेश तिवारी और सनी सिंह, ये वो तीन नाम हैं जो कल रात से अख़बार से लेकर टीवी तक सुर्खियों में बने हुए हैं।
उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक़, तीनों युवकों ने शनिवार की रात पत्रकार का भेष धारण किया हुआ था और रात करीब 10:30 बजे एक पुलिस जीप प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल के बाहर रुकी। वजह थी कि अतीक और उसके भाई दोनों को मेडिकल करवाने के लिए यहां लाया गया था। जीप से पहले अशरफ़ को उतारा जाता है, फिर अतीक अहमद को एक पुलिसकर्मी सहारा देकर बाहर लाता है। जीप से उतरने के दस सेकेंड के अंदर ही अतीक़ और अशरफ़ मीडियाकर्मियों से घिर जाते हैं, पुलिस के मुताबिक़, इन्हीं मीडियाकर्मियों में हमलावर शामिल भी शामिल हो गए थे। पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है उसके मुताबिक अतीक अहमद और अशरफ़ को एक साथ लगाकर मेडिकल चेक अप के लिए ले जा रहा था। अस्पताल के मुख्य गेट से 10-15 कदम बढ़ते ही अतीक अहमद और अशरफ़ को एक साथ हथकड़ी लगाकर मेडिकल चेक अप के लिए ले जा रहे थे। अस्पताल के मुख्य गेट से 10-15 कदम बढ़ते ही मीडियाकर्मी बाइट लेने के लिए अतीक़ और अशरफ़ के करीब आ गए।
एफआईआर के मुताबिक़, दोनों ने मीडियाकर्मियों को बाइट देनी शुरू कर दी। अचानक उसी मीडियाकर्मियों की भीड़ से एक ने अपना कैमरा और दूसरे ने माइक छोड़कर अपने हथियार निकाल लिए और उन्होंने अतीक़ – अशरफ़ को टारगेट कर अत्याधुनिक अर्ध स्वचालित हथियारों से फ़ायरिंग शुरू कर दी तभी अचानक तीसरे तथाकथित मीडियाकर्मी ने भी फ़ायरिंग शुरू कर दी। पुलिस के मुताबिक़, फायरिंग में अतीक़ और अशरफ़ की मौत हो गई। घटना में पुलिसकर्मी मान सिंह के दाहिने हाथ में गोली लगी है। एफ़आईआर के मुताबिक पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए तीन हमलावरों को लोड हथियारों के साथ पकड़ लिया। हमलावरों का एक साथी अपने ही साथियों की क्रॉस फ़ायरिंग में घायल हुआ।इस वारदात में समाचार एजेंसी एएनआई के एक पत्रकार को चोट आई है। पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 302, 307 और आर्म्स एक्ट, 1959 की धारा 3, 7, 25, 27 और आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 1932 के तहत एफआईआर दर्ज की है।
आपको बता दें कि यह हमला जिस तरह से हुआ, उससे कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में हमलावर कई बार गोलियां चलाते हैं और उसके बाद पुलिस को सरेंडर करते हुए दिखाई देते हैं। आखिर ये हमलावर कौन हैं? कहां के रहने वाले हैं? इनके पास हथियार कहां से आए? क्या ये कोई सोची समझी साज़िश है? और क्या ये हमलावर पहले भी जेल जा चुके हैं?
इन सभी सवालों के जवाब हमने जमीनी तफ्तीश और उनके परिजनों से निकाले हैं। आपको बता दें कि अतीक़ हत्याकांड में 22 साल का अभियुक्त लवलेश तिवारी उत्तर प्रदेश में बांदा के केवतारा क्रासिंग के समीप रहने वाला है। उसके पिता का नाम यज्ञ कुमार तिवारी है। पुलिस के मुताबिक़, क्रॉस फायरिंग में लवलेश को गोली लगी है, जिसका इलाज स्वरूप रानी मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज में चल रहा है। परिवार के मुताबिक चार भाइयों में लवलेश तीसरे नंबर पर है। उसने इंटर की पढ़ाई की, फिर बीए में दाखिला भी लिया लेकिन फ़ेल हो गया। मीडिया से बात करते हुए लवलेश के पिता ने कहा कि उसका घर से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने बताया कि टीवी पर ख़बरें देखकर वारदात की जानकारी मिली। वह चार-छह दिनों में एक बार घर आता था और नहा धोकर निकल जाता था। घर से उसका कोई मतलब नहीं था। लवलेश के पिता के मुताबिक़ वह जेल भी जा चुका है। पिता बताते हैं कि उसने एक लड़की को चौराहे पर थप्पड़ मार दिया था, उसका मुकदमा चल रहा है, उस मामले में ये जेल गया था। लवलेश के छोटे भाई के मुताबिक वह जो काम करता था उसकी जानकारी परिवार को नहीं देता था। लवलेश की मां का कहना है कि वो संकट मोचन भगवान का भक्त था, पता नहीं नसीब में क्या लिखा था जो ये हुआ।
इस हत्याकांड का दूसरा अभियुक्त मोहित उर्फ सनी सिंह है। अतीक़ हत्याकांड में पुलिस ने घटनास्थल से 23 साल सनी सिंह नाम के युवक को भी गिरफ़्तार किया है। पुलिस के मुताबिक़ सनी उत्तर प्रदेश में हमीरपुर के कुरारा का रहने वाला है। सनी के पिता जगत सिंह की मौत हो चुकी है। सनी के बड़े भाई पिंटू सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि वह दस बारह साल से हमीरपुर में नहीं रहता है। उन्होंने बताया कि वे तीन भाई थे, जिसमें से एक ही मौत हो गई थी। भाई के मुताबिक़ सनी उलटे-सीधे काम करता था, जिसकी वजह से परिवार ने उसके साथ अपना संबंध खत्म कर लिया था।
इस मामले का तीसरा आरोपी अरुण कुमार मौर्या‌ 18 साल का है। वह उत्तर प्रदेश में कासगंज के कातरवाड़ी का रहने वाला है। उसके पिता का नाम दीपक कुमार है। मीडिया से बात करते हुए उसकी चाची लक्ष्मी देवी ने कहा कि वो भी घर पर कई दिनों से नहीं आया है।
आपको बता दें कि एफआईआर के मुताबिक़, हत्या का उद्देश्य पूछने पर तीनों अभियुक्तों ने बताया कि हम लोग अतीक़ और अशरफ़ गैंग का सफाया करके प्रदेश में अपने नाम की पहचान बनाना चाहते थे, जिसका फायदा हमें भविष्य में मिलता।‌ हम लोग पुलिस के घेरे का अनुमान नहीं लगा पाए और हत्या करके भागने में क़ामयाब नहीं हुए। पुलिस तेजी से की गई कार्रवाई में हम लोग पकड़े गए। अतीक़ और अशरफ़ की पुलिस कस्टडी रिमांड की सूचना जबसे हमें मिली थी तबसे हम लोग मीडियाकर्मी बनकर यहां की स्थानीय मीडिया कर्मियों की भीड़ में रहकर इन दोनों को मारने की फिराक में थे।
बताया जा रहा है कि तीनों हमलावर शातिर अपराधी हैं। तीनों ही हत्या, लूट समेत संगीन आरोप में जेल जा चुके हैं। जेल में ही उनकी आपस में दोस्ती हो गई थी, ये तीनों अतीक़ और अशरफ़ की हत्या करके डॉन बनना चाहते थे। पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि तीनों का मानना है कि छोटे-छोटे अपराध में जेल जाने से उनका नाम नहीं हो रहा था, इसलिए वो कुछ बडा़ करने की सोच रहे थे। तीनों को इसी बीच पता चला कि अतीक़ और अशरफ़ अहमद को पुलिस हिरासत अस्पताल ले जाया जा रहा है। तीनों ने बडा़ नाम कमाने के मक़सद से हत्या की साजिश रची और शुक्रवार को हमला करने से पहले अस्पताल पहुंचकर रेकी की थी। इसके बाद शनिवार को तीनों ने मीडियाकर्मी बनकर अतीक़ और अशरफ अहमद को नज़दीक से गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
गौरतलब हो कि अतीक़ अहमद के आपराधिक इतिहास में 100 से भी अधिक मुक़दमे दर्ज हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, साल 1979 में पहली बार हत्या का मुक़दमा दर्ज हुआ, उस वक्त अतीक़ अहमद नाबालिग था। 1992 में इलाहाबाद पुलिस ने बताया कि अतीक़ के ख़िलाफ़ बिहार में भी हत्या, अपहरण, जबरन वसूली आदि के क़रीब चार दर्जन मामले दर्ज हैं। प्रयागराज के अभियोजन अधिकारियों के मुताबिक़ अतीक़ अहमद के ख़िलाफ़ 1996 से अब तक 50 मुक़दमें विचाराधीन हैं। अभियोजन पक्ष का कहना है कि 12 मुक़दमों में अतीक़ और उनके भाई अशरफ़ के वकीलों ने अर्जियां दाख़िल की हैं जिससे केस में चार्जेज़ फ़्रेम नहीं हो पाए हैं। अतीक़ अहमद बसपा विधायक राजू पाल की हत्या का मुख्य अभियुक्त था। मामले की जांच अब सीबीआई के पास थी। अतीक़ अहमद 24 फरवरी को हुए उमेश पाल हत्या मामले के मुख्य अभियुक्त था। उमेश पाल, राजू पाल हत्याकांड के शुरुआती गवाह था लेकिन बाद में मामले की जांच संभाल रही सीबीआई ने उन्हें गवाह नहीं बनाया था। 28 मार्च को प्रयागराज की एमपीएमएलए अदालत ने अतीक अहमद को उमेश पाल का 2006 में अपहरण करने के आरोप में दोषी पाया और उम्र कैद की सज़ा सुनाई थी।