नाबालिग बच्चों के अपराध संरक्षण की दिशा में है सख्त कानून है, जानकारी व जागरूकता के अभाव में बच्चे हो रहे हैं प्रताड़ित
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दुर्ग 01 अगस्त । राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में आज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग द्वारा विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इसमें बच्चों व महिलाओं के लिए समर्पित संस्था चाइल्ड लाइन के कार्यकर्ताओं को महिला व बच्चों के संरक्षण के लिए बने कानून की जानकारी दी गई। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित इस शिविर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव राहुल शर्मा ने महिलाओं व बच्चों पर होने वाले अपराध रोकने के लिए 2011 से 2019 तक बनाए गए कानून व संशोधन के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।
इस दौरान उन्होंने बताया कि नाबालिग बालक बालिकाओं के अपराध संरक्षण की दिशा में सख्त कानून हैं, जिसकी जानकारी व जागरूकता के अभाव में ऐसे नाबालिग बच्चे बच्चियां प्रताड़ित हो रहे हैं। इसी तरह महिलाओं पर होने वाले आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए भी कानून में प्रविधान है। आधुनिक समाज में महिलाएं जागरूक हो रही हैं यह अच्छा संकेत है। बावजूद इसके निचले व गरीब तबके की महिलाएं घरेलू हिंसा के साथ ही सामाजिक प्रताड़ना का शिकार होती हैं जिस पर रोक लगाना आवश्यक है। नाबालिग बच्चों पर भी आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने व उन्हें समाज की मुख्यधारा शिक्षा से जोड़ने की जरूरत है। सचिव ने अपराध पीड़ितों के मुआवजा प्रकरण को लेकर भी विस्तार से जानकारी देते हुए चर्चा की। साथ ही चाइल्ड संस्था को इसके लिए आगे आने की बात कही। अक्सर छोटे बच्चों को भीख मांगते या हाथ फैलाये रास्ते में चैराहे पर देखा होगा। भीख मंगवाना या बच्चों से काम करवाना अपराध है फिर भी बिना इस पर कुछ त्वरित कार्रवाई के आगे बढ़ जाते है। इस तरह से सब अपनी सामाजिक और नैतिक दायित्व की अवहेलना करते हैं। हमारे द्वारा किया गया व्यवहार अपराध को बढ़ावा देता है और अपराधी निर्भीक होकर बच्चों का शोषण करते है और उन्हें बाल श्रम करने को मजबूर भी करते हैं । साथ ही बताया कि महिलाओं व बच्चों पर होने वाले अपराध रोकने व मदद के लिए चाइल्ड लाइन 1098 नंबर के कार्य व महत्व के संबंध में जानकारी दी। शिविर में जानकारी दी गई कि 18 वर्ष से कम की आयु की लड़की को पूरे आशय से ले जाने के लिए उत्प्रेरित करना दंडनीय अपराध है। 21 वर्ष से कम की आयु की लड़की को बुरे आशा से आयात करना दंडनीय अपराध है किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध श्रम कराने के लिए विधि विरुद्ध तौर पर विवश करना दंडनीय अपराध है। किशोर न्याय बालकों की देखरेख और संरक्षण किसी नियोजन में बालक को लगाना या बंधुआ रखना आदि दंडनीय अपराध है। सचिव श्री राहुल शर्मा ने लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के बारे में बताते हुए कहा कि यदि किसी बालक के साथ कोई व्यक्ति अश्लील हरकत करता है तो यह भी दंडनीय होगा तथा यदि किसी बालिका को कोई व्यक्ति अश्लील शब्द कहता है तो बालकों के संरक्षण अधिनियम से भी दंडनीय होगा । बालक से तात्पर्य 18 वर्ष से कम आयु के किसी बच्चे से है।