भले जान चली जाए नहीं खुलने देंगे एलुमिना फैक्ट्री महासभा में 11 गांवों के हजारों ग्रामीणों ने कहा, मंत्री अमरजीत के नहीं आने से रोष

भले जान चली जाए नहीं खुलने देंगे एलुमिना फैक्ट्री महासभा में 11 गांवों के हजारों ग्रामीणों ने कहा, मंत्री अमरजीत के नहीं आने से रोष


भले जान चली जाए नहीं खुलने देंगे एलुमिना फैक्ट्री महासभा में 11 गांवों के हजारों ग्रामीणों ने कहा, मंत्री अमरजीत के नहीं आने से रोष

अम्बिकापुर,11 सितंबर। सरगुजा जिला के बतौली विकासखंड के ग्राम चिरगा में प्रस्तावित माँ कुदरगढ़ी एल्युमिना रिफाइनरी प्लांट के विरोध में रविवार को ग्राम चिरगा में महासभा का आयोजन किया गया। महासभा में 11 गांव के हजारों ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि भले हमारी जान चली जाए हम यहां एलुमिना फैक्ट्री नहीं खुलने देंगे।

ग्रामीणों ने ग्राम में 2-3 जमीन दलालों को भी घेर लिए और उन्हें समझाइश दी कि अगर वह जमीन खरीदी बिक्री से बाज नहीं आए तो परिणाम बुरा होगा। जहां पर फैक्ट्री बनाया जाना है वहां पर आदिवासियों का एक मंदिर था, जिसे गत रात कुछ असामाजिक तत्वों ने तोड़ दिया। इसे लेकर भी ग्रामीण काफी आक्रोशित थे। ग्रामीणों का कहना था कि यह किसी षड्यंत्र के तहत उनके देवी देवताओं की मंदिर को वहां से थोड़ा एवं हटाया गया है।

ग्रामीणों ने क्षेत्रीय विधायक एवं छत्तीसगढ़ शासन में खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत के नहीं आने पर रोष व्यक्त किया और कहा कि चुनाव प्रचार के समय श्री भगत उनसे वोट मांगने के लिए हाथ जोडक़र आते हैं। आज जब ग्रामीणों को उनकी जरूरत है तो वह क्षेत्र में होते हुए भी उनके पास नहीं आ रहे हैं, आज ग्रामीणों को उनके सामने हाथ जोडऩा पड़ रहा है। हालांकि मंत्री अमरजीत भगत पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वह ग्रामीणों के साथ खड़े हैं और आगे भी उनके साथ रहेंगे। ग्रामीणों का जैसा निर्णय होगा, उनका हमेशा साथ देंगे।

रविवार को आयोजित महासभा में ग्राम पंचायत, चिरंगा, माजा, झरगंवा, सिलसिला, कालीपुर, पौड़ीकला, महेशपुर, लंगु, करदना, कदनई, भटको, खड़धोवा, बतौली एवं कुनकुरीकला, कर्स, पाटीपारा, नवानगर के हजारों की संख्या में ग्रामवासी ग्राम चिरगा के बासेन टोंगरी में गांव के करमदेव के स्थान पर एकत्रित होकर फैक्ट्री नहीं खुलने देने को लेकर आवाज बुलंद की।

ग्रामीणों ने आरोप लगया है कि सरगुजा प्रशासन एवं कंपनी प्रबंधन की मिली भगत से माँ कुदरगढ़ी एल्युमिना रिफाइनरी प्लांट की बिना ग्रामवासियों की सहमति फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव के आधार पर स्थापना किया जा रहा है।

ग्रामीणों ने बताया कि स्थानीय जिला प्रशासन एवं कम्पनी प्रबंधन के मिलीभगत से फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव के आधार पर ग्राम पंचायत कुनियां, विकास खण्ड मैनपाट से ग्राम पंचायत चिरगा तक बॉक्साईट परिवहन हेतु लगभग 13 करोड़ रूपये का उच्च स्तरीय सडक़ बनाने हेतु शासन द्वारा स्वीकृति दी जा रही है, जो सीधे कम्पनी प्रबंधन को लाभ प्राप्त होगा। उक्त सडक़ स्थानीय जिला प्रशासन के फर्जी प्रस्ताव के आधार पर शासन द्वारा शासकीय खर्च से निर्माण किया जाएगा। यदि ग्राम चिरंगा में एल्युमीना प्लांट स्थापित होता है तो प्लांट में प्रतिदिन 24 घंटा 20 से 30 मिलीयन पानी सप्लाई होगा, जिससे हमारा श्याम घुनघुट्टा नदी का पानी सूख जाएगा। साथ ही हमारे ग्राम चिरंगा के चारों ओर लगभग 10 किमी. तक का नदी नाला, पोखरा ढोढ़ी, तालाब एवं नलकूप, बोर सुख जायेगा, जिससे हमारे सामने आगे जाकर पीने की पानी का विकराल समस्या उत्पन्न हो जाएगी।

यदि ग्राम चिरगा में प्लांट स्थापित होता है तो ग्राम चिरगा के चारों तरफ लगभग 10 से 12 कि.मी. तक के ग्रामों में वायु, पानी, तथा गांव का वातावरण प्रदूषित हो जायेगा, क्योंकि जो मशीन स्थापित होगा, वह चाईना मॉडल मशीन होगा, जिससे अन्य मशीनों की तुलना में ज्यादा तीन गुना कार्बन युक्त धुआँ निकलता है। जिससे चिरंगा गांव सहित आसपास के सभी गांव का वातावरण पानी एवं वायु प्रदूषित हो जाएगा, जिससे हम सब अनेकों प्रकार के बीमारी से ग्रसित हो जायेंगे  तथा वर्तमान एवं हमारे आने वाले पीढिय़ों के जनजीवन पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ेगा।

सिलसिला में भी एल्युमिनियम रिफायनरी प्लांट को लेकर विरोध

सरगुजा जिले के सिलसिला में भी खुले मां कुदरगढ़ी एल्युमिनियम रिफायनरी प्लांट को लेकर पूर्व मंत्री गणेश राम भगत व ग्रामीणों के द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया। दरअसल 2 वर्ष पूर्व खुले इस एल्युमिनियम रिफाइनरी प्लांट को लेकर ग्रामीण पूरा शुरू से ही विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। यहां भी ग्रामीणों का आरोप है कि विरोध प्रदर्शन के बावजूद कंपनी द्वारा फर्जी प्रस्ताव बनाकर एल्युमिनियम प्लांट खोलने के लिए सरकार द्वारा मंजूरी दे दी गई। इसी को लेकर रविवार को ग्रामीणों द्वारा हजारों की संख्या में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि हम इसी तरह से लगातार विरोध करते रहेंगे, जब तक हमारी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा। हम जल जंगल जमीन को बचाकर रहेंगे।