स्कूल के बाथरूम में नाबालिग बच्चियो से अश्लील हरकत पर न्यायालय ने सुनाया फैसला, सफाई कर्मी को आजीवन कारावास , प्राचार्य को एक साल की कैद, दो महिला शिक्षक व प्रबंधक को 6 माह की सजा,

स्कूल के बाथरूम में नाबालिग बच्चियो से अश्लील हरकत पर न्यायालय ने सुनाया फैसला, सफाई कर्मी को आजीवन कारावास , प्राचार्य को एक साल की कैद, दो महिला शिक्षक व प्रबंधक को 6 माह की सजा,


स्कूल के बाथरूम में नाबालिग बच्चियो से अश्लील हरकत पर न्यायालय ने सुनाया फैसला, सफाई कर्मी को आजीवन कारावास , प्राचार्य को एक साल की कैद, दो महिला शिक्षक व प्रबंधक को 6 माह की सजा,

दुर्ग, 14 सितंबर। साढ़े 5 साल पहले इस्पात नगरी के सेक्टर-6 स्थित एमजीएम स्कूल में चार नाबालिग बच्चियों के साथ अश्लील हरकत करने के मामले में 13 सितंबर को दुर्ग न्यायालय में न्यायाधीश डॉ. ममता भोजवानी की कोर्ट ने फैसला सुनाया। 

न्यायालय ने बच्चियों के साथ स्कूल के बाथरुम में अश्लील हरकत करने वाले स्कूल के सफाई कर्मी एस सुनील दास को आजीवन कारावास से दंडित किया, प्राचार्य डेनियल वर्गीस को एक साल के कारावास के साथ 20 हजार रुपए का अर्थदंड लगाया। पॉक्सो एक्ट के मामले में गंभीरता नहीं दिखाने वाली नर्सरी क्लास की इंचार्ज प्रतिभा होलकर, महिला शिक्षक सुंदरी नायक और स्कूल प्रबंधक साजन थामस को 6-6 महीने की सजा सुनाई और तीनों पर 10-10 हजार की अर्थदंड भी लगाया। 

घटना वर्ष 2016 की है जब चार वर्षीय छात्रा के परिजन ने 25 फरवरी को थाने में सफाईकर्मी एस सुनील के खिलाफ शिकायत की थी। बच्चियों ने बताया कि चार पांच दिन से सफाई करने वाले अंकल उसके साथ अश्लील हरकत कर रहे थे। घटना की जानकारी लगने के बाद परिजन सबसे पहले स्कूल प्रबंधन को शिकायत की। परिजन की शिकायत पर कार्रवाई करने की बजाय इंचार्ज प्रतिभा होलकर और शिक्षक सुंदरी नायक ने स्कूल में ऐसी घटना होने से इंकार करते हुए परिजन को भगा दिया। जिसके बाद परिजन ने इसकी शिकायत थाने में की. अगले दिन एक केजी 2 की छात्रा के परिजनों की शिकायत पर प्राचार्य डेनियल और प्रबंधक साजन थामस पर केस दर्ज हुआ। लोक अभियोजक के मुताबिक चौथी FIR पुलिस ने स्कूल प्रबंधक साजन थामस और प्रिसिंपल डेनियल वर्गीस के खिलाफ दर्ज किया गया। यह प्राथमिकी इसलिए दर्ज की गई कि परिजन घटना का पता लगने के बाद स्कूल में शिकायत करने गए थे। गंभीर घटना की जानकारी लगने के बाद भी प्रिंसिपल और प्रबंधक ने पुलिस को जानकारी नहीं दी। मामलों को दबाने के लिए स्कूल मैनेजमेंट ने पीड़ितों के परिजन को धमकाकर भगा दिया था। उन पर तोड़फोड़ और गुंडागर्दी करने का आरोप लगाकर केस में फंसाने की धमकी दी। लोक अभियोजक बालमुकुंद चंद्राकर ने मीडिया को बताया कि कोर्ट ने आदेश में लिखा है कि विद्यालय में नाबालिग बच्चियों के साथ इस प्रकार का जघन्य अपराध कारित होने की इस घटने से संपूर्ण मानवता को शर्मसार किया है। विद्यालय जैसी पवित्र संस्था को लेकर सामान्य जन के मन में एक अविश्वास उत्पन्न किया है। ऐसे में इस निर्णय की प्रति जिला कलेक्टर को भेजी जाए। कोर्ट ने विधि अनुसार अपेक्षित कार्रवाई करने की अनुशंसा की है, जिससे प्रशासन द्वारा समय रहते उचित एवं आवश्यक कदम यथा स्कूल की कार्यप्रणाली में बच्चों की सुरक्षा की व्यापक जिम्मेदारी को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश का पालन करवाया जाने की बात कही गई है, ताकि जघन्य अपराधों को रोका जा सके।