तलाक के बाद पत्नी का पति की संपत्ति पर अधिकार नहीं, केवल बच्चों को रहने का हक

तलाक के बाद पत्नी का पति की संपत्ति पर अधिकार नहीं, केवल बच्चों को रहने का हक


🔴BSP कर्मचारी के पारिवारिक विवाद में हाई कोर्ट ने आंशिक रूप से बदला निचली अदालत का फैसला

सीजी न्यूज ऑनलाइन, 01 दिसंबर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की सिंगल बेंच ने स्पष्ट किया है कि तलाक के बाद पत्नी को पति की संपत्ति में रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं रहता, लेकिन बच्चों को पिता की संपत्ति में रहने का अधिकार प्राप्त होता है, क्योंकि वे उसके वैध वारिस हैं।

यह निर्णय दुर्ग जिले में भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारी अजय कुमार रेड्डी और उनकी पूर्व पत्नी राजश्री के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद में आया है। निचली अदालत ने पहले पत्नी और बच्चों दोनों को घर खाली करने का आदेश दिया था, जिसे हाई कोर्ट ने आंशिक रूप से संशोधित किया है।

अजय कुमार रेड्डी ने 2002 में भिलाई स्टील प्लांट से सेक्टर-8, रोड नंबर 36, क्वार्टर नंबर 1/ ए को लीज पर लिया था। 2010 में क्रूरता के आधार पर अदालत ने अजय और राजश्री के बीच तलाक की डिक्री जारी की। तलाक के बावजूद राजश्री बच्चों के साथ उसी घर में रहती रहीं। अजय का आरोप था कि 2006 में राजश्री ने ताला तोड़कर घर में अवैध रूप से कब्जा कर लिया, जिसके बाद उन्होंने 2014 में कोर्ट में घर खाली कराने, बकाया किराया, बिजली-पानी के बिल और हर्जाने की मांग की।

निचली अदालत ने 2018 में राजश्री और बच्चों को दो महीने में घर खाली करने का आदेश दिया था।

हाई कोर्ट ने फैसले में स्पष्ट किया कि तलाक के बाद पति-पत्नी के बीच पारिवारिक रिश्ते कानूनी रूप से खत्म हो जाते हैं। घरेलू प्रताड़ना अधिनियम की धारा 2(एफ) के अनुसार, वैवाहिक संबंध समाप्त होने पर पत्नी के लिए पति के घर में रहने का आधार भी समाप्त हो जाता है।

हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले में संशोधन करते हुए कहा कि पत्नी को घर खाली करना होगा, लेकिन बच्चों को घर खाली करने के आदेश को रद्द किया जाता है, क्योंकि वे पिता की संपत्ति में हिस्सेदार हैं और वहां रहने के अधिकार रखते हैं। राजश्री और बच्चों ने 2018 में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी। अपील में दावा किया गया कि घर खरीदने में राजश्री ने भी आर्थिक योगदान दिया था, और बच्चों को पिता की संपत्ति में रहने का अधिकार है।

राजश्री ने घरेलू प्रताड़ना अधिनियम का हवाला देते हुए घर में रहने का अधिकार मांगा था, जिस पर हाई कोर्ट ने आंशिक राहत केवल बच्चों को दी।