लापता बीएसपी कर्मचारियों की पत्नी को मिला कानूनी अधिकार

लापता बीएसपी कर्मचारियों की पत्नी को मिला कानूनी अधिकार


🔴याचिकाकर्ता 7 साल बाद मृत मानकर सेवा लाभ पाने की हकदार – हाईकोर्ट

सीजी न्यूज ऑनलाइन, 23 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि कोई व्यक्ति लापता हो जाए, तो उसकी आश्रित पत्नी सात वर्ष बाद मृत मानकर सेवा लाभों का दावा करने का अधिकार रखती है। यह फैसला जस्टिस संजय के अग्रवाल एवं जस्टिस राधा किशन अग्रवाल की खंडपीठ ने किया है।

यह मामला भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) के राजहरा खदान में वरिष्ठ तकनीशियन (विद्युत) के रूप में कार्यरत एक कर्मचारी से जुड़ा है। कर्मचारी मानसिक रूप से अस्वस्थ था और वर्ष 2010 में लापता हो गया। उसकी पत्नी ने 14 जनवरी 2010 को थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई और इसके बाद अखबारों में सूचना प्रकाशित की गई।

बीएसपी प्रबंधन को पुलिस ने सूचना दी, लेकिन जब कर्मचारी का कोई पता नहीं चला तो बीएसपी ने 11 दिसंबर 2010 को उसके खिलाफ आरोपपत्र जारी कर दिया। नोटिस दिए जाने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला, जिसके बाद विभागीय जांच कर 17 सितंबर 2011 को एकतरफा तरीके से उसकी सेवा समाप्त कर दी गई। परिवार को कंपनी क्वार्टर खाली करने का भी निर्देश मिला।

कर्मचारी की पत्नी ने इस आदेश को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट), जबलपुर में चुनौती दी। न्यायाधिकरण ने निष्कासन आदेश रद्द करते हुए बीएसपी को निर्देश दिया कि वह पत्नी को सभी सेवा संबंधी लाभ दे। बीएसपी ने इस आदेश के हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 108 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति सात वर्षों तक लापता रहे और उसके बारे में कोई सूचना न मिले, तो उसे मृत माना जा सकता है। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के रामरति कुएर बनाम द्वारिका प्रसाद सिंह और तारा देवी बनाम बैंक ऑफ इंडिया जैसे मामलों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में मृतक की पत्नी या आश्रित व्यक्ति को सेवा लाभों का दावा करने और बर्खास्तगी को चुनौती देने का पूरा अधिकार है।

अदालत ने माना कि बर्खास्तगी का सीधा असर आश्रित पत्नी की आजीविका पर पड़ा है, इसलिए उसे कानूनी रूप से यह चुनौती देने का अधिकार है।