🔴पूर्व मुख्यमंत्री ने ‘X’ पर लिखा जांच एजेंसियां सुपारी ले रही है क्या ?
सीजी न्यूज़ ऑनलाइन 12 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ कोल स्कैम केस में रायपुर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने EOW को नोटिस जारी है। EOW ने मजिस्ट्रेट के सामने आरोपी निखिल चंद्राकर का बयान दर्ज कराने के बजाय पहले से तैयार टाइप्ड बयान कोर्ट में पेश कर दिया। इस पर कोर्ट ने EOW-ACB के निदेशक अमरेश मिश्रा से जवाब मांगा है।
रायपुर की स्पेशल कोर्ट में कोल स्कैम के मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी की जमानत याचिका पर सुनवाई चल रही थी। इसी दौरान कोर्ट में पहले से टाइप्ड बयान वाले दस्तावेज पेश किए गए। सूर्यकांत तिवारी के वकीलों ने इसका विरोध किया। हाईकोर्ट में भी EOW-ACB की शिकायत की गई है।
रायपुर कोर्ट ने EOW-ACB के निदेशक अमरेश मिश्रा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंद्रेश ठाकुर, उप पुलिस अधीक्षक राहुल शर्मा को नोटिस जारी किया है। तीनों अफसरों से जवाब मांगा है। वहीं पूर्व CM भूपेश बघेल ने भी जांच एजेंसी पर सवाल उठाए हैं।
भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि अब जांच एजेंसियां झूठे बयान और सबूत खुद बनाने लगी हैं क्या? किसी को भी फंसाने के लिए अब जांच एजेंसी EOW/ACB पर झूठे साक्ष्य बनाकर अदालत के साथ आपराधिक धोखाधड़ी की शिकायत बेहद गंभीर है।
कोल घोटाले (केस नंबर 02/2024 और 03/2024) में आरोपी सूर्यकांत तिवारी की जमानत पर सुनवाई हो रही थी। इस दौरान EOW/ACB (EOW/ACB) ने कोर्ट में कुछ दस्तावेज पेश किए। इन दस्तावेजों में सह आरोपी निखिल चंद्राकर का बयान भी शामिल था, जिसे EOW ने कोर्ट को धारा 164 के तहत रिकॉर्ड किया गया बताया।
धारा-164 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत दस्तावेज तैयार कराने के आशय से न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, रायपुर (छ.ग.) पीठासीन अधिकारी कामिनी वर्मा के न्यायालय में पेश कराया गया था और उक्त अपराध के विवेचको द्वारा तैयार किये गये दस्तावेज की प्रतियां उच्चतम न्यायालय के समक्ष सूर्यकांत तिवारी के अंतरिम जिसकी प्रति सूर्यकांत तिवारी के अधिवक्तागण के माध्यम से प्राप्त हुयी, जिसका अवलोकन जमानत को निरस्त कराने के लिए प्रस्तुत किये गये आवेदन के साथ पेश की गयी थी, यह स्पष्ट हो गया कि उक्त अपराध के विवेचको द्वारा निखिल चंद्राकर का कथन धारा-164 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत कराया ही नही गया है बल्कि स्वयं विवेचको द्वारा अपने कार्यालय के कम्पयुटर में धारा 164 द.प्र.सं. के संबंध में दस्तावेज तैयार कर एक पेनड्राईव में लाकर उक्त न्यायालय में दिया, जिसके बाद न्यायालय को प्रभाव में लेकर उस दस्तावेज का प्रिंटआऊट न्यायालय के कम्प्युटर से लेकर माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किये है। उक्त दस्तावेजो में निखिल चंद्राकर का केवल हस्ताक्षर लिया गया है और न्यायालय के द्वारा उसका कोई कथन लेखबद्ध नही किया गया है। न्यायालय से दिनांक 16-17 जुलाई 2025 को सूचबद्ध अन्य प्रकरणो के आदेश पत्रिका की प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त की गयी और उक्त विवेचको द्वारा तैयार किये गये धारा-164 द.प्र.सं. से संबंधित दस्तावेजो का फोरेंसिक परीक्षण विशेषज्ञ से कराया गया है, तब विशेषज्ञ ने स्पष्ट अभिमत दिया है कि विवेचको द्वारा तैयार किया गया दस्तावेज का फॉंट न्यायालय के प्रमाणित प्रतिलिपि में उपलब्ध फौंट से भिन्न है, यहां तक की विवेचको द्वारा तैयार किया गया धारा-164 द.प्र.सं. के दस्तावेज में मिश्रित फौंट का भी उपयोग हुआ है। विवेचको के द्वारा फर्जी तरीके से कूटरचना करते हुए न्यायिक प्रक्रिया के दौरान झूठा दस्तावेज अपने विवेचना में गंभीरता उत्पन्न करने एवं अन्य निर्दोशों को मामले में झूठा फंसाने के लिए दस्तावेज स्वयं तैयार किये हैं और उस दस्तावेज को असली होना बताकर माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर दिये है जो एक अपराधिक कृत्य है। विवेचको के द्वारा बनावटी और झूठा दस्तावेज साक्ष्य के रूप में उपयोग में लाने के इरादे से तैयार कर षड़यंत्रपूर्वक मिथ्या साक्ष्य गढ़ा गया है।
अधिवक्ता गिरिश चंद्र देवांगन के द्वारा उपरोक्त संबंध में माननीय उच्च न्यायालय छ.ग. बिलासपुर के सर्तकता विभाग को लिखित में दस्तावेजो सहित शिकायत की गयी है ई.ओ.डब्लू./ए.सी.बी. के निदेशक अमरेश मिश्रा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंद्रेश ठाकुर एवं उपपुलिस अधीक्षक राहुल शर्मा के विरुद्ध दांडिक परिवाद न्यायिक दण्डाधिकारी, प्रथम श्रेणी, पीठासीन अधिकारी आकांक्षा बेक, रायपुर छ.ग. के न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है, जिस पर न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए तीनो प्रस्तावित उपरोक्त अभियुक्तगण को नोटिस प्रेषित कर स्पष्टीकरण मांगा है और प्रकरण में उपरोक्त तीनो प्रस्तावित अभियुक्तगण को दिनांक 25/10/2025 को उपस्थित होकर स्पष्टीकरण पेश करने का निर्देश दिया गया है।

जांच एजेंसियां सुपारी ले रही हैं क्या – भूपेश बघेल
भूपेश बघेल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ पर लिखा- अब जांच एजेंसियां झूठे बयानों और सबूतों का निर्माण भी खुद ही करने लगी हैं क्या? किसी को भी फंसाने के लिए अब जांच एजेंसियां सुपारी ले रही हैं क्या? जांच एजेंसी ईओडब्लू/एसीबी पर झूठे साक्ष्य बनाकर अदालत के साथ आपराधिक धोखाधड़ी की शिकायत बेहद गंभीर है।

बघेल ने लिखा कि वकीलों की शिकायत पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने EOW/ACB के निदेशक, DSP और ASP को नोटिस जारी किया है। देश की न्यायिक व्यवस्था में ऐसा पहली बार हुआ है, जब कोई जांच एजेंसी अभियुक्त का बयान दर्ज करवाने की जगह अपने कार्यालय से लाए हुए बयान को अभियुक्त का बयान बताकर उस पर हस्ताक्षर करवा ले।
बघेल ने लिखा कि ऐसे में किसी भी नागरिक को न्याय मिलने की संभावना खत्म होती है। उम्मीद है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी इसका संज्ञान लेंगे।