*आम जनता की ज्वलंत समस्याएं जस की तस, कोरी घोषणाओं वाला संवेदनहीन बजट – डे*

*आम जनता की ज्वलंत समस्याएं जस की तस, कोरी घोषणाओं वाला संवेदनहीन बजट – डे*


आम जनता की ज्वलंत समस्याएं जस की तस, कोरी घोषणाओं वाला संवेदनहीन बजट – डे

भिलाई नगर 2 फरवरी । हिंदुस्तान स्टील एंप्लाइज यूनियन के महासचिव एस.पी. डे ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किया गया वित्त वर्ष 22-23 का बजट कोरी घोषणाएं वाला संवेदनहीन बजट है। इस बजट में आम जनता की ज्वलंत समस्याओं पर वित्त मंत्री ने चुप्पी साध कर  सिर्फ कोरी घोषणाओं से अपनी कॉरपोरेट परस्ती को छुपाने की असफल कोशिश की है।

जनता को कोई राहत नहीं

इस बजट में आम जनता के किसी भी वर्ग को कोई राहत नहीं दी गई है। वेतन भोगी वर्ग को उम्मीद थी कि इनकम टैक्स  स्लैब को बढ़ाकर राहत मिलेगी किंतु बजट में इसका कोई उल्लेख नहीं होने से उन्हें हताशा हुई है। 

 ब्लेंडिंग को बढ़ावा देने की आड़ में पेट्रोल डीजल की कीमत में वृद्धि का प्रस्ताव

ब्लेंडिंग को बढ़ावा देने के नाम पर पेट्रोल डीजल की कीमत में प्रति लीटर ₹2 वृद्धि आम जनता के साथ भद्दा मजाक है। पेट्रोल डीजल की कीमतों में वृद्धि के सबसे बुरे प्रभाव से  छोटे  और खुदरा व्यापारी पहले ही जूझ रहे थे। ब्लेंडिंग के नाम पर दो रुपए प्रति लीटर की वृद्धि  से कीमतें और बढ़ेंगे और इसका सबसे बुरा असर दैनिक आय पर निर्भर रहने वाली जनता पर पड़ेगी।

शिक्षा के नाम पर कॉरपोरेट को बढ़ावा

माननीय वित्त मंत्री, ने शिक्षकों की कमी से जूझ रहे सरकारी स्कूलों, यूनिवर्सिटीज, में शिक्षकों की भर्ती की घोषणा करने के बदले, शिक्षा को बढ़ावा देने के नाम पर  tv चैनलों, की संख्या को 12 से बढ़ाकर 200 करने की तथा डिजिटल यूनिवर्सिटी खोलने की घोषणा की है, जो वास्तव में शिक्षा के नाम पर कॉरपोरेट घरानों को tv चैनलों से मुनाफा कमाने की छूट देने वाला कदम है।

डिफेंस के लिए कुछ नहीं

डिफेंस जैसे सर्वोच्च राष्ट्रीय हित  से जुड़े मामले में बजट बढ़ाने का सरकार  का कोई प्रस्ताव नहीं है। इस क्षेत्र में भी 68% भारतीय कंपनियों के लिए सुरक्षित रखने की घोषणा करके कारपोरेट मित्रों को ही मदद करने की कोशिश की है क्योंकि डिफेंस के क्षेत्र में सरकारी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के निजीकरण की शुरुआत सरकार ने पहले ही कर दी है।

NPS में टैक्स की सीमा को  घटाना भी भ्रामक घोषणा है, क्योंकि आज सेवानिवृत्त कर्मियों के लिए nps में टैक्स सीमा कम करने से ज्यादा आवश्यक nps में निवेश की जाने वाली राशि की सुरक्षित वापसी है, जिस पर सरकार पुरी तरह मौन है।